#Quote
More Quotes
कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।
ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम
लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
स्कुल की परिक्षाये भलेही रद्द की गयी हो। जिंदगी की बडी कठीण परीक्षा की घडी है..ये देनी ही होगी।
लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
भाई से ज्यादा ना कोई उलझता हैं, ना भाई से ज्यादा कोई समझता हैं.
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
भाई मुझे सताता बहुत हैं, मुसीबत में अपनापन भी जताता बहुत हैं.
कौन ज्यादा मजबूर है वो जो सड़कों पर सुकून की नींद सोता है या वो जो लाखों के घर में भी नींद के लिये तरसता है।
अस्तित्व की इस लड़ाई में एक संघर्ष दायित्व का भी है।