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ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम
आप दुखो को गिनने बैठ जाओगे, जाहिर है खुशियों की गिनती भूल जाओगे।
जब इंसान जिंदगी कि अपनी सभी इच्छाओं से, मुक्त हो जाता है या कहो वो अपने सारे इन्द्रियों को, अपने काबु में रखता है, तब ही उसे शांति मिल सकती है!
माहौल यहा कुछ इस तरह है। अजब सी कशीश हर एक मनमे। जी रहा है ,हरकोई डर डर के.. मांग रहा है ,जिंदगी मर मर के ए खुदा के बंदे , ढुंड जरा जमानेमे खुशीया हजार मिलेंगी, हर एक पलमे लाखो जनम जी लेगा , बस तू एक बार जीना सीख ले।
आंसूं किसी के दुःख को समझता नहीं है, और न ही किसी की ख़ुशी को
दुख तो मुफ्त में मिलते है, लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही पड़ती है
बिना दुख के सुख की कोई अहमियत नहीं होती इसलिए दुख से कभी घबराओ मत।
जो व्यक्ति हर वक्त दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा सुख बाहर से ही लौट जाता है।
"अपेक्षा" और "उपेक्षा" दोनों का होना ही गलत है "अपेक्षा" खुद को घायल करती है "उपेक्षा" दूसरों को।
अस्तित्व की इस लड़ाई में एक संघर्ष दायित्व का भी है।