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ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।
अगर आप के पास ऐसा कोई है जो आप को दुःख मे नहीं देख सकता। तो आप ये सुनिश्चित अवश्य करे की उन्हें आप के वजह से दुःख कभी ना हो।
पहचान के ज़रिये मिला काम बहुत कम समय के लिए ही टिक पाता है, लेकिन काम से मिली पहचान ज़िन्दगी भर क़ायम रहती है।
हर फैसला मेरा बेहतर था सिवाए ज़िन्दगी में तेरे आने के।
अस्तित्व की इस लड़ाई में एक संघर्ष दायित्व का भी है।
स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी, जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नह।
जो उम्मीद दूसरों से करते हो वो खुद से करो और ज़िन्दगी की नई शुरुआत करो।
लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुठ्ठी से फिसलती है कुछ खोकर पछताना क्यों, ज़िंदगी जैसी भी है बस एक ही बार मिलती है।
ज़िन्दगी भर नहीं दूंगा।