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कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता

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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से
कितना मुश्किल होता है उस शख्स को मनाना, जो रूठा भी ना हो और बात भी ना
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता अच्छाई है
लोग शादी करते हैं क्योंकि वे प्राकृतिक शक्तियों का प्रतिरोध नहीं कर पाते, हालांकि उनमें से बहुत से लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि वे संभवत
जिंदगी कैसे अजीब हो गई हैं, खुश दिखना खुश होने से ज्यादा जरुरी हो गया हैं.
हसने वालो के साथ तो दुनिया हसती है लेकिन रोने वाला अकेले ही
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है मैंने अपने आप को
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…!! “मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है लेकिन…. “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है