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जहां में डूबा था मुझे वही किनारा चाहिए, तू फिर आ मेरे पास मुझे तू दोबारा चाहिए
कितना मुश्किल होता है उस शख्स को मनाना, जो रूठा भी ना हो और बात भी ना
बड़ी अजीब होती है ये यादें, कभी हसा देती है, कभी रुला देती है
किस्मत की लकीरों पर ऐतबार करना छोड़ दिया, जब इंसान बदल सकते हैं तो किस्मत क्यों नहीं
ज़िंदगी ना कर जिद उनसे बात करने की, वो बड़े लोग हैं अपनी मर्जी से बात करेंगे
सपने देख लेना पर पूरा करने कि हिम्मत भी रखना।
वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हु मै, उसे क्या पता ओढ़ कर चादर रो रहा हु में
रखना था फासला पर तुमसे दिल लगा बैठे, फिर तुम भी ना हासिल हुए और खुद को भी गवा बैठे
ऑफिस का काम भी करना, घर में सबका ख्याल भी रखना,
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता