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हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था मेरी किश्ती थी डूबी वहां

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कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता
हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…
हर दुःख आने वाले सुख की चिठ्ठी होती है, और हर नुक्सान होने वाले फायदे का
ताश का जोकर, और अपनों की ठोकर, अक्सर वाजी पलट देते है।
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से
हम हार गए क्योंकि हमने खुद से कहा कि हम