#Quote

मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ,कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश मैं हूँ!

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जब ‘दर्द’ और ‘कड़वी’ बोली दोनों मीठी लगने लगे तब समझ लीजिये कि जीना आ गया
हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है ज़िंदगी चलते रहिए जनाब- गुलज़ार
ताश का जोकर, और अपनों की ठोकर, अक्सर वाजी पलट देते है।
आज टुटा एक तारा देखा, बिल्कुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा, बिल्कुल तेरे जैसा था.
जो मिला उसमें ही खुश रहता हूं मेरी ऊंगलिया मुझे सिखाती है, दुनिया में एकसमान कोई नहीं।
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था मेरी किश्ती थी डूबी वहां
सफ़र में मुश्किलें आये तो जुर्रत और बढ़ती है, कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है।
आज 16 जून को दुनियाभर में फादर्स डे मनाया जा रहा
ज़रा सी वक़्त ने करवट क्या ली, गैरों की लाइन में सबसे आगे अपनों को पाया हमने!
अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्कूरा दें तो जितने वाला भी जीत की खुशी खो देता है।