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हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…

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ताश का जोकर, और अपनों की ठोकर, अक्सर वाजी पलट देते है।
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता अच्छाई है
दुख तो मुफ्त में मिलते है, लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही पड़ती है
मैं ज़िन्दगी से नहीं, अपने आप से नाराज़ हूँ – अर्जुन
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था मेरी किश्ती थी डूबी वहां
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो, लेकिन अंदर से तो बीमार ही रहता है
जिंदगी में अगर बुरा वक्त नहीं आता तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपनों का कभी पता न चलती
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से नाखुश है .
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते है
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है, और एक हसी वो होती है जो इंसान के सारे ग़म भुला देती है