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मैं ज़िन्दगी से नहीं, अपने आप से नाराज़ हूँ – अर्जुन

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अपने आप को विकसित करें, याद रखें गति और विकास जिंदा इंसान की निशानी है।
दिल में तेरी चाहत लबो पे तेरा नाम है, तू मोहब्बत कर या ना कर, मेरी ज़िन्दगी “तेरे नाम” है.
मुझे रख दिया छांव में, खुद जलते रहे धूप में, मैंने देखा है ऐसा एक फरिश्ता, अपने पिता के रूप में।
हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…
इस दिन हर कोई अपने पिता को स्पेशल फील करवाना चाहता
सच्ची दोस्ती के रंग गहरे पक्के होते हैं, ज़िन्दगी की धूप में भी उड़ा नही करते।
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़
किसी की भावनाओ के साथ कभी मत खेलो, हो सकता है ये खेल आप जीत जाओ लेकिन उस इंसान से आप ज़िन्दगी भर के लिए हार जाओगे।
ज़िन्दगी भर नहीं दूंगा।
जो उम्मीद दूसरों से करते हो वो खुद से करो और ज़िन्दगी की नई शुरुआत करो।