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उदास कर जाती है मुझे हर रोज ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे धीरे

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ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।
कुछ लोग डायरी इसलिए लिखते है, क्योंकि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनाकर धोखा देते है
जो जिंदगी को हंसकर जीते हैं, उनकी दुनिया अक्सर खूबसूरत हो जाती है।
दिल पर लग जाती है उन्हें अक्सर हमारी बातें, जो कहते थे तुम कुछ भी बोलो बुरा नहीं लगता!
क्यां हुआ जो हम अब अजनबी बन गए, इतनी जल्दी दूरियाँ बढ़ गई
मन में बातो के चलते रहने से , ज़िंदगी रुक ही जाती है।
जिंदगी में खुशियाँ तलाश करो, दुखो का कोई अंत नहीं होता
एक सवेरा था जब हंसकर उठते थे हम, और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।