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ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुठ्ठी से फिसलती है कुछ खोकर पछताना क्यों, ज़िंदगी जैसी भी है बस एक ही बार मिलती है
खुद के बारें में न किसी पीर से पूछो न किसी फ़क़ीर से पूछो बस कुछ देर आँखें बंद करो, जो पूछना है अपने ज़मीर से पूछो।
ज़िंदगी में कभी खुद से तो कभी सब से लड़ना पड़ता है, ज़िंदगी क्या है, इस सवाल को पहले समझना पड़ता है।
लगातार चलने का नाम ज़िन्दगी है, रुकने-थकने या हार जाने का नहीं। सोने से तो बस नींद पूरा होती है, सपनों को पूरा करने के लिए तो जागना पड़ता है।
मैं ज़िन्दगी से नहीं, अपने आप से नाराज़ हूँ – अर्जुन
मैं अनुशासित हूँ ये मैं जानता हूँ, इसलिए ज़िन्दगी खूबसूरत है।
सोने से तो बस नींद पूरी होती है सपना पूरा करने के लिए तो उठना पड़ता है।
ज़िन्दगी मेरी तब तक खास है जब तक मेरी जान तू मेरे पास है.
हर फैसला मेरा बेहतर था सिवाए ज़िन्दगी में तेरे आने के।
ज़िन्दगी भी अक्सर कमाल करती है कभी देती है जवाब तो कभी सवाल करती है।