#Hindi Quote

सारी उम्र गुज़री यूं ही रिश्तों की तुरपाई में, मन के रिश्ते पक्के निकले, बाकि उधड़ गए कच्ची सिलाई में

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इंसान का ‘ज़मीर’ और शतरंज का ‘वज़ीर’ एक जैसा होता है क्योकी अगर दोनो मर गए, तो खेल खत्म
न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं
जिंदगी में हर जगह हम जीत चाहते है..सिर्फ फूलवाले की दुकान ऐसी है, जहाँ हम कहते है की हार चाहिए..क्योकि हम मगवान से जीत नहीं सकते
पैरों से कांटा निकल जाए तो चलने में मज़ा आता है, और मन से अहंकार निकल जाए तो जीवन जिने में मज़ा आता है।
हलके-हलके बढ़ रही है चेहरे की लकिरें; लगता है, नादानी और तजुर्बे का बंटवारा हो रहा है
ताश का जोकर और अपनों की ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं।
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
पैसे को दिमाग में नही जेब मे रखना चाहये, रिश्तों को खुले में नही दिलों में रखना चाहिये!
हमें उम्र से हमने तुमको चाहा है, जिस उम्र में हम जिस्म से वकीफ ना थे..
एक पर्व ही बताता है कि ख्याल कितना है, वरना कोई तराजू नहीं होता रिश्तों में।