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अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा
परिवार का प्यार और दोस्तों की प्रशंसा धन और अधिकार से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।
दोस्ती ख़्वाब है और ख़्वाब की ता’बीर भी है रिश्ता-ए-इश्क़ भी है याद की ज़ंजीर भी
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो
भले ही गिनती के चार हो मगर, जो दोस्त हो वो वफादार हो।
अच्छे मित्र, अच्छी किताबें, और चिंता मुक्त अन्तः कारण यही एक आदर्श जीवन है - मार्क ट्वैन
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनकर धोका देते है।
आ गया ‘जौहर’ अजब उल्टा ज़माना क्या कहें दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते
एक बेहतरीन किताब 100 अच्छे दोस्त के बराबर है, लेकिन एक सर्वश्रेष्ठ दोस्त पुस्तकालय के बराबर है.