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मेरी उड़ानों को खुद पर यकीन है क्योंकि तू मेरा आकाश है घनघोर अंधियारी में तू यार मेरे, तमस मिटाता प्रकाश
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते
जो लोग खुद से प्यार करते हैं, वो दूसरों के दिल पर वार नहीं करते हैं !
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या किया रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल
कामयाबी ना मिलने पर कभी हारा नहीं करते! बस अपनी गलतियों को सुधार कर मेहनत को सही दिशा देते रहते हैं।
बीत गया जो सो चिद्यता, न भूलेगा जमाना।
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं