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तेरी यादों के सहारे जीना सिख लिया है, सिरहाने के तकिया का सहारा लिया है
निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं।
कुछ लोग डायरी इसलिए लिखते है, क्योंकि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता
वो एक रोज सारी खुशियाँ लेकर लौट आएगी, इस उम्मीद को लेकर बहाल रही है जिंदगी
ताश का जोकर और अपनों की ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं।
टूटा हुआ दिल और मुस्कुराते हुए चहरे वाले व्यक्ति से, ज्यादा मजबूत कुछ भी नहीं है
चहरे बदल जाए तो कोई तकलीफ नहीं, मगर लहजे बदल जाए तो बहुत तकलीफ होती है
तेरा इंतजार करता हूँ रोज रातों में, खुद को सांसों में समेटा हुआ देखता हूँ
क्यां हुआ जो हम अब अजनबी बन गए, इतनी जल्दी दूरियाँ बढ़ गई