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घर से दूर रहने पर मां समझ आती है, और नौकरी करने पर पिता. हैप्पी फादर्स डे
सबकुछ कुछ नहीं से शुरू हुआ
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
बेकार में मोहब्बत से नफरत हो गयी।
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।
धोखा देकर ऐसे चले गए,
हर चमकती हुई चीज़ सोना नहीं होती।
प्यार में अगर किसी के लिए रोना आए तो समझ लेना प्यार सच्चा है
दर्द की दवा न हो तो दर्द को ही दवा समझ
उम्मीद छोड़ी हैं तुमसे मोहब्बत नहीं.