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हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…
वह मासूम लगता है लेकिन वह जीना जानता है, गहरे दर्द में हंसना जानता है!
जवाब सुनकर वह भी रोने लगा कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा
हसने वालो के साथ तो दुनिया हसती है, लेकिन रोने वाला अकेले ही रोता है…
घर से दूर रहने पर मां समझ आती है, और नौकरी करने पर पिता. हैप्पी फादर्स डे
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता अच्छाई है
मैं ज़िन्दगी से नहीं, अपने आप से नाराज़ हूँ – अर्जुन
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है, मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग है
प्यार हम दोनों ने किया, मगर तड़पना सिर्फ मेरे नसीब में आया