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हर आदमी के अपने गुप्त दुख होते हैं जिन्हें दुनिया नहीं जानती; और कई बार हम किसी आदमी को कठोर समझते हैं जब वह केवल उदास होता है।
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
उदास करती है मुझे हर रोज़ ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे-धीरे…!!
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
बहुत अंदर तक तबाह कर देते हैं वो अश्क़ जो आँखों से गिर नहीं पाते।
चाकू की धार से अधिक मोटा कुछ भी खुशी को उदासी से अलग नहीं कर सकता। – Virginia Woolf
मौन, मैंने समझा है , एक ऐसी चीज़ है जो आप वास्तव में सुन सकते हो।
कुछ यादों को आप कभी नहीं छोड़ना चाहते, चाहें उसके लिए आपको कितनी ही पीड़ा क्यों न सहनी पड़े.
जो लोग दर्द को समझते हैं वो लोग कभी दर्द की वजह नहीं बनते