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दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से
बहुत अंदर तक तबाह कर देते हैं वो अश्क़ जो आँखों से गिर नहीं पाते।
दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, खुद के बनाये पिंजरे से निकल कर देख, तू भी एक सिकंदर हैं!
एक ख्वाहिश थी के जिंदगी तेरे साथ गुजरे, एक ख्वाहिश है कि तुमसे अब उम्र भर सामना ना हो
मौन, मैंने समझा है , एक ऐसी चीज़ है जो आप वास्तव में सुन सकते हो।
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
जो चीज़ किसी ने मेहनत से हासिल की हो, वो आप अपनी ख्वाहिश से हासिल नहीं कर सकते…
चाकू की धार से अधिक मोटा कुछ भी खुशी को उदासी से अलग नहीं कर सकता। – Virginia Woolf
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे किसी को रुलाकर हँसे तो क्या हँसे