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मैले कपडे फिर भी चल जाएंगे , मगर मैला मन लंगड़ा होता है।

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मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन ही जीते जाते हैं– अटल बिहारी वाजपेयी
जो इंसान मन की तकलीफों को नही बता पता, उसे ही गुस्सा सबसे ज्यादा आता है।
मेहनत के इतने करीब हो जाओ , कि मंज़िल आपसे फिर दूर ना रह पाए।
सबकी ज़िंदगी एक जैसी नहीं होती , तो इसका मतलब ये नहीं कि आपकी ज़िंदगी ज़िंदगी ही नहीं है।
चार युगों में सिमटी श्रृष्टि, चार पहर का सन्नाटा है बहन तुम्हारे कदमों में बैठ, मन मेरा निश्चल हो जाता है-मयंक विश्नोई
मैले कपडे फिर भी चल जाएंगे मगर मैला मन लंगड़ा
बस आपको अपने कदमो पर भरोसा होना चाहिए , क्यूंकि इस दुनिया की तो राह में रोड़ा अटकाने की आदत है।
घर की बाते जब , मोहल्ले में पहुंच जाएंगी तो जमे जमाए घर की नीव तो हिलेगी ही।
मन में बातो के चलते रहने से , ज़िंदगी रुक ही जाती है।
छिड़कके थोड़ा सा विशवास , आप अपनी बेहोश हुई ज़िंदगी को होश में ला सकते है।