#Hindi Quote

ताश का जोकर और अपनों की ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं।

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जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं
हलके-हलके बढ़ रही है चेहरे की लकिरें; लगता है, नादानी और तजुर्बे का बंटवारा हो रहा है
न जाने कितने ही रिश्ते खत्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं सही हूं, सिर्फ मैं ही सही हूं
लोग आपको नहीं आपके अच्छे वक़्त को अहमियत देते हैं
कभी भी शादियों के भोजन की बुराई मत करना, कोई पिता वर्षो कमाता है एक दिन की दावत के लिए।
जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं।
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो. सहारे कितने भी भरोसेमंद हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते है!
जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो उसका आपसे बात करने का तरीका भी बदल जाता है।
ताश का जोकर, और अपनों की ठोकर, अक्सर वाजी पलट देते है।
वक्त जब शिकार करता है हर दिशा से वार करता है.