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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।

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दूसरों को सुनाने के लिऐ अपनी आवाज ऊँची मत करिऐ, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाऐं
जिस जिस पर यह जग हंसा है, उसी ने इतिहास रचा है!
थका हुआ हु थोड़ा, जिंदगी भी थोड़ी नाराज है, पर कोई बात नही ये तो रोज की बात है
सबकुछ कुछ नहीं से शुरू हुआ
इंतजार करना बंद करो क्योकिं सही समय कभी नही आत
जिंदगी अगर अपने हिसाब से जीनी हैं तो कभी किसी के फैन मत
सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर
यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा, जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा, ना हो मायूस ना घबरा अंधेरों से मेरे साथी, इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा
आप तब तक नहीं हार सकते,जब तक आप कोशिश करना नहीं छोड़ देते।
जब गलती अपनी हो तो हमसे बडा कोई वकील नही जब गलती दूसरो की हो तो हमसे बडा कोई जज