#Quote

झूठ इसलिए बिक जाता है, क्योंकि सच खरीदने की हैसियत सबकी नही होती।

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मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िंदगी में, बस हम गिनती उसी की करते है, जो हासिल न हो सका
हजारों ख़्वाब टूटते हैं, तब कहीं एक सुबह होती है.
खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो. सहारे कितने भी भरोसेमंद हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते है!
हम ज़िन्दगी भर जमीनों की कीमत पर इतराते रहे, हवा ने अपनी औकात मांगी तो खरीदी हुई ज़मीने बिक गयी।
रूठे हुए को मनाना जिंदगी है, दुसरों को हंसाना जिंदगी है। कोई जीतकर खुश हुआ तो क्या हुआ, सब कुछ हारकर मुस्कुराना भी जिंदगी है।
इंसान का ‘ज़मीर’ और शतरंज का ‘वज़ीर’ एक जैसा होता है क्योकी अगर दोनो मर गए, तो खेल खत्म
क्रोध हमेशा मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर समाप्त होता है।
झूठ और दिखावे की रफ्तार कितनी भी तेज हो, पर मंजिल तक केवल सच ही पहुँचता है
सच को तो तमीज़ ही नहीं बात करने की, झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है!
लोग आपको नहीं आपके अच्छे वक़्त को अहमियत देते हैं