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झूठ और दिखावे की रफ्तार कितनी भी तेज हो, पर मंजिल तक केवल सच ही पहुँचता है

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अगर सुबहे आपकी उदास रहेंगी तो शामे फिर किस आस में
जो रास्ते से नहीं डरे, वही मंजिल तक पहुँचे।
मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है ।
एक ही मंज़िल तक कई रास्ते जाते हैं, तू रास्ता बदलकर तो देख तू पहुंचेगा ऊंचाइयों तक, दोबारा चलकर तो
मंजिल दूर है पर रुकना नहीं है, हर कदम मंजिल के करीब ले जाता है। किताबों में वो शक्ति है, जो आपकी किस्मत बदल सकती है।
हर मंजिल की एक पहचान होती है, और हर सफर की एक कहानी.
अगर तू चलने के लिए तैयार हो तो, मंजिल तुम्हारे सामने झुकने के लिए तैयार हो जायेगी
जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते पर है I
अगर आपने सफर शुरू कर ही दिया है तो बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वापस आने में जितनी दूरी तय होगी क्या पता मंजिल उससे भी पास हो.
अपना गिरवी रखो, जब तक आपकी वजह से मंज़िल न मिल जाए।