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केवल वे ही लोग, जो अपने दिमाग का कचरा किनारे रख सकते हैं, वास्तव में प्रेम और करुणा के काबिल होते हैं ।

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दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
अपने प्रेम, अपनी खुशी और अपने उल्लास को रोककर मत रखें। आप जो देते हैं, वही आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोक कर रखते हैं ।
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो, मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो, दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात, मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.
प्रेम एक समाहित करने की प्रक्रिया है। जब एक बार आपको मैं अपने एक अंश के रूप में शामिल कर लेता हूं, मैं आपके साथ वैसा ही होऊंगा, जैसा मैं खुद के साथ हूं। - सद्‌गुरु
अगर ख्वाईश कुछ अलग करने की है तो दिल और दिमाग के बीच बगावत लाजमी है I
ख़ुशी, शांति और प्रेम – ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है ।
जब उन्हे पाने के काबिल हुए हम, वो किसी और को हासिल हो गए..!!!
कहा मिलेगा तुम्हे मुझ जैसा कोई, जो तुम्हारे सितम भी सहे, और तुमसे मोहब्बत भी करे!
उसके सादगी की कोई इन्तहा नहीं है, यही तो मेरे प्यार करने के वजह रही है, माना की उसमे अलग कुछ भी नहीं है, पर जो उसमे है वो किसी और में नहीं है.
जो लोग अपने दिमाग के कचरे को एक किनारे रख देते हैं, सिर्फ वे ही करुणा और प्रेम करने के वाकई काबिल होते हैं।