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ख़ुशी, शांति और प्रेम – ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है ।

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अपने प्रेम, अपनी खुशी और अपने उल्लास को रोककर मत रखें। आप जो देते हैं, वही आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोक कर रखते हैं।
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल
प्रेम तो खुद का पूर्ण समर्पण है इसमें ईगो और अनादर का कोई स्थान नहीं होता.
केवल सुख और दुःख के जरिये ही कोई व्यक्ति खुद के और अपने नसीब के बारे में जान पाता है। वे सीखते है कि क्या करना है और क्या नहीं - जोहान वोल्फगांग वों गेटे
बजते हैं ढोल तो करते हैं बल्ले बल्ले आई लव यू मेरे प्यारे से रसगुल्ले..
जिंदगी के रंग बदलते रहते हैं, हर रंग को खुशी के साथ स्वीकार करना सीखना है।
सोचता हूं आज इश्क जता दूं क्या तुमसे मोहब्बत है यह तुम्हें बता दूं क्या..
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है ।
अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्कूरा दें तो जितने वाला भी जीत की खुशी खो देता है।
वो जो ख़ुशी होती है ना वो और कही नहीं बस