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हर रक्षा बंधन मैं अपने मन के भीतर तुम्हारी सुख, समृद्धि का संकल्प लेता हूँ।
बहना मेरी हर सुबह की भोर हो तुम, हर सवालों का जवाब और मेरे मन में उठा शोर हो तुम
जीवन में सफलता के लिए, संकल्प और समर्पण दोनों की आवश्यकता होती है
धैर्य और संकल्प से ही बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया जा सकता है।
नारी के बलिदान को वही सम्मान मिलता है, जहाँ बहनों ने खुद से पहले भाई की खुशियों को रखा हो ।
आकाश में जितने भी तारे हैं या कि वह प्रतिबिंब हमारे हैं बगिया है जैसे बहना की तरह, जिसने फूल दिए कई सारे हैं।
रक्षा बंधन के पावन अवसर पर, भाई के नाम दिल से खुशियों की बरसात करती हूँ। आपके साथ बड़ी खुशियों की उम्मीद करती हूँ।
माँ की ममता भी हैं तुझमें, है तुझमें पिता सा अकड़पन भी दोस्ती भी अनमोल है तेरी, अनमोल है तेरा लड़कपन भी
जीवन एक संघर्ष है, लेकिन इसे जीतने के लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत
सुन बहन आँखों की चमक कभी कम मत होने देना जो होता हो हो जाए, तू हंसती आँखों को मत रोने देना