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मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए, पर वक़्त बीत रहा है कागज के टुकड़े कमाने के लिए।
जिंदगी रेल सी गुजर रही हैं, उम्मीदे स्टेशन सी छूट रहीं हैं.
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है ! न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया.
वक्त भी कितना बेरहम है अच्छा हो तो गुजर जाता है बुरा हो तो ठहर जाता है !
कोई सिखादे मुझे भी अपने वादों से मुक़र जाना ! बहुत थक चुका हूँ निभाते-निभाते.
वक्त के साथ बदल जाओ या फिर वक्त बदल दो, नहीं तो वक्त आपको बदल देगा I
चलते वक्त के साथ तु भी चल उसमें सिमटने की कोशिश न कर
वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल जाता है, लोग भी और रास्ते भी अहसास भी!
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का ! बड़ी मासूमियत से कहते हैं मजबूर थे हम.
वक़्त कट तो भी नहीं, वक़्त रुकता भी नहीं। दिल है सजदे में मगर, इश्क झुकता भी नहीं