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सफर मोहब्बत का अब खत्म ही समझो, तेरे रवइये से जुदाई की महक आती है
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है ! न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया.
तेरी हर एक बात को हंसते-हंसते सह लूंगा बस मोहब्बत में शामिल कोई और ना हो
जिंदगी कैसे अजीब हो गई हैं, खुश दिखना खुश होने से ज्यादा जरुरी हो गया हैं.
मोहब्बत का दर्द तब होता है, जब तू दूर है और मेरी रातें लम्बी होती है!
दर्द में हूँ देदे अपनी बाँहों की सुकून वाली रात तू है मेरी मोहब्बत मेरी सुकून आस.
मुस्कुराते हुए इंसान की कभी जेबे देखना ! हो सकता है रूमाल गिला मिले.
कहा मिलेगा तुम्हे मुझ जैसा कोई, जो तुम्हारे सितम भी सहे, और तुमसे मोहब्बत भी करे!
न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा