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नारी के बलिदान को वही सम्मान मिलता है, जहाँ बहनों ने खुद से पहले भाई की खुशियों को रखा हो।
तुम पवित्रता की प्रतिमा हो, बहना तुम परिवर्तन की प्रतिभा हो।
परिवार का तुम पर स्नेह बड़ा, मैं भी तुम पर गर्व करता हूँ बहन तुम्हें खुश रखने का ही मैं अपना धर्म समझता हूँ -- मयंक विश्नोई
तुम संघर्ष के समय बनी ऐसी प्रतिमा हो बहना, जिसे न्याय की मूर्ति कहना गलत ना होगा ।
हर रक्षा बंधन मैं अपने मन के भीतर तुम्हारी सुख, समृद्धि का संकल्प लेता हूँ।
ईमानदारी की इच्छाओं पर अडिग रहना तुम्हीं से सीखा है बहन तुम्हारे कदमों के निशान पर, मैंने मेरे वजूद को सींचा है -- मयंक विश्नोई
जिन पर होती है घरेलू हिंसा, मिलती हो जिनको प्रताड़ना सदा बहन उन्हीं की आवाज बनो तुम, वीरता से करो बुराई का सामना सदा -- मयंक विश्नोई
तुम से ही मेरे भीतर साकारात्मक ऊर्जाओं का संचार हुआ, तुम ही मेरे विचारों की जननी हो बहना।
जीवन में एक लक्ष्य के प्रति समर्पित होना कुछ इस प्रकार है कि संघर्षों के पथ पर सफलता के लिए साहासिक कदम उठाना।
उसकी छाया में चलकर, उसका ही साया बनना है खुशियों की खातिर उसकी पीड़ाओं से भी लड़ना है कैसे न हो गर्व मुझे, उसका भाई होने पर जो मुझ जुगनू को रोशन करती, वो बस मेरी बहना है