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तर्क से परे एक आयाम है। जब तक आप वहां नहीं आयामजाते, आप ना तो प्रेम की मधुरता, ना ही ईश्वर को जान आयाम।

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ख़ुशी, शांति और प्रेम – ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है।
कोई सबूत नहीं होता है मोहब्बत का सामने नाम लेने पर धड़कने बढ़ जाए तो समझो मोहब्बत बेइंतेहा है !
अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई, तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ नजर आती है !
तर्क से परे एक आयाम है। जब तक आप वहां नहीं पहुंच जाते, आप ना तो प्रेम की मधुरता, ना ही ईश्वर को जान पाएंगे ।
अपने प्रेम, अपनी खुशी और अपने उल्लास को रोककर मत रखें। आप जो देते हैं, वही आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोक कर उल्लास हैं।
सात फेरों से तो, महज शरीर पर हक मिलते हैं, आत्मा में हक तो रूह के फेरों से मिलते हैं !
मैं बेचैन सा लगता हूं वो राहत जैसी लगती हैं मैं खो जाता हूं ख्वाबों में वो भीतर मेरे जगती हैं !
छुपाने लगा हूँ कुछ राज अपने आप से, जब से मोहब्बत हुई है हमें आप से !
लोग अक्सर पूछते हैं मेरी खुशियों का राज, इजाजत दो तो आपका नाम बता दूं !
तुम्हें देखा तो मोहब्बत भी समझ आई, वरना इस लफ्ज़ की तारीफ सिर्फ ही सुना करता था मैं !