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जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो
अजीब फितरत है लोगों की, अपनी गलती पर वकील बनते हैं और दूसरे की गलती पर जज बनते हैं!
मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…!! “मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है लेकिन…. “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है
हर दुःख आने वाले सुख की चिठ्ठी होती है, और हर नुक्सान होने वाले फायदे का
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते
आंखें खुली रखो तो आंसूं भी काले और बंद करू तो सपने भी
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता अच्छाई है
दुनिया में प्यार से ज़्यादा दर्द कुछ
हम हार गए क्योंकि हमने खुद से कहा कि हम
रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा