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हर चमकती हुई चीज़ सोना नहीं होती।
अगर सुबहे आपकी उदास रहेंगी तो शामे फिर किस आस में
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
बेकार में मोहब्बत से नफरत हो गयी।
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
जब शौक के लिए वक्त ना मिले तो समझ लेना की जिंदगी शुरू हो गई हैं.
मनुष्य कर्म से महान होता है, जन्म से नहीं। ~ आचार्य चाणक्य
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।
अब ऐसे नफरत जताते हो
इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है