#Hindi Quote
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मैने अपनी परछाई से पूछा तुम मेरे साथ क्यों चलती हो, परछाई ने मुस्कुरा कर बोला अरे पागल मेरे सिवा तेरा है ही कौन
माना दूरियां कुछ बढ़ सी गई है, मगर तेरे हिस्से का वक्त हम आज भी तनहा गुजरते हैं
सहमी हुई थी झोपड़ी बारिश के खौफ से, मेहलो की आरजू थी के बारिश जरा जम के बरसे
बड़ी अजीब होती है ये यादें, कभी हसा देती है, कभी रुला देती है
ऑफिस का काम भी करना, घर में सबका ख्याल भी रखना,
जहां में डूबा था मुझे वही किनारा चाहिए, तू फिर आ मेरे पास मुझे तू दोबारा चाहिए
धोका ऐसे ही नही मिलता, भला करना पड़ता है लोगो का
किस्मत की लकीरों पर ऐतबार करना छोड़ दिया, जब इंसान बदल सकते हैं तो किस्मत क्यों नहीं
वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हु मै, उसे क्या पता ओढ़ कर चादर रो रहा हु में
खाली जेब लेकर निकलो कभी बाजार में, जनाब वहम दूर हो जाएगा इज्जत कमाने का