#Hindi Quote
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मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
प्रेम एक समाहित करने की प्रक्रिया है। जब एक बार आपको मैं अपने एक अंश के रूप में शामिल कर लेता हूं, मैं आपके साथ वैसा ही होऊंगा, जैसा मैं खुद के साथ हूं। - सद्गुरु
प्रेम तो खुद का पूर्ण समर्पण है इसमें ईगो और अनादर का कोई स्थान नहीं होता.
आपके प्यार करने की, लोगों तक पहुँचने की, जीवन को अनुभव करने की क्षमता की कोई सीमा नहीं है। सीमाएँ सिर्फ शरीर और मन की होती हैं ।
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो, मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो, दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात, मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.
इश्क़ करो ऐसा की जमाना भी याद करे न की ऐसा की लोग तुम्हे बर्बाद कहें.
प्रेम की गहराई को जानने के लिए आपके कम-से-कम कुछ अंश को मिटना होगा। वरना किसी दूसरे के लिए जगह नहीं होगी ।
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है ।
निपुणता हमेशा आपके आसपास के लोगों के प्रति आपके प्रेम और परवाह का नतीजा होनी चाहिए - न कि एक मशीनी और उदासीन कार्य-भावना का ।
ईश्वर से कोई भी प्रेम कर सकता है क्योंकि वह आपसे कुछ नहीं मांगता। पर अपने पास खड़े व्यक्ति से प्रेम करने की कीमत जीवन से चुकानी पड़ती है ।