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और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
प्रेम की गहराई को जानने के लिए आपके कम-से-कम कुछ अंश को मिटना होगा। वरना किसी दूसरे के लिए जगह नहीं होगी ।
न जाने किस कॉलेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री उसने ! जितने भी मुझसे वादे किये थे सब फ़र्ज़ी निकले !!
ईश्वर से कोई भी प्रेम कर सकता है क्योंकि वह आपसे कुछ नहीं मांगता। पर अपने पास खड़े व्यक्ति से प्रेम करने की कीमत जीवन से चुकानी पड़ती है ।
इश्क़ करो ऐसा की जमाना भी याद करे न की ऐसा की लोग तुम्हे बर्बाद कहें.
यूँ सिमट गया मेरा प्यार चंद अल्फाज़ो में ! जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.
काश यह दिल अपने बस मे होता, न किसी की याद आती, न किसी से प्यार होता.
दर्द में हूँ देदे अपनी बाँहों की सुकून वाली रात तू है मेरी मोहब्बत मेरी सुकून आस.
तुम मोहब्बत की बात करते हो आजकल के लोग रिप्लाई भी शक्ल देखकर करते है
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है ।