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बड़ा सोचो ,जल्दी सोचो ,आगे सोचो विचारों पर किसी का अधिकार नहीं है।
कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है, ये वक्त है साहब बदलता जरूर है।
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए, पर वक़्त बीत रहा है कागज के टुकड़े कमाने के लिए।
माता पिता की आंख से दो बार ही आंसू आते हैं, एक लड़की घर छोड़े तब और दूसरा बेटा मुंह मोड़ ले तब.
बदल लो ख़ुद को वक़्त के साथ या फिर वक़्त बदलना सीखो, मजबूरियों को कोसों मत हर हाल में चलना सीखो!
पर वक़्त बीत रहा है कागज के टुकड़े कमाने के लिए।
ये काँटे ये धूप ये पत्थर इनसे कैसा डरना है, राहें मुश्किल हो जाए तो छोड़ी थोड़े ही जाती है.
खुद की तरक्की में इतना वक़्त लगा दो, कि किसी दूसरे की बुराई करने का वक़्त न मिले।
शिक्षक दिवस ममाने का उद्देशय शिक्षकों की सराहना करना है।
ज़रा सी वक़्त ने करवट क्या ली ! गैरों की लाइन में सबसे आगे अपनों को पाया हमने.