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मुस्कुराते हुए इंसान को कभी जब देखना, हो सकता है रूमाल गिला मिले
कभी तो चौक के देखे कोई इंसान तरफ, किसी की आंख में हमको भी इंतजार दिखे।
मंजिल दूर और सफर बहुत है, छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
भावुक करने वाले विचार
इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नहीं, अपनी ज़रूरत के हिसाब से गरीब होता
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं
मुस्कुराते इंसान की कभी जेबें टटोलना, हो सकता है उसका रुमाल गिला मिले.
किस्मत की लकीरों पर ऐतबार करना छोड़ दिया, जब इंसान बदल सकते हैं तो किस्मत क्यों नहीं
वो मुश्किल दौर ही होता है जो इंसान को मज़बूत बना देता है ताकी वो हीरे की तरह चमक सके
जब इंसान अन्दर से टूटता है तो बहार से खामोश हो जाता