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भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
जीवन की सच्चाई, अपने सपनों को खुदा बनाने में छुपी होती है।
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है दोस्तों ने भी क्या कमी की है
हम को यारों ने याद भी न रखा जौन' यारों के यार थे हम तो
जिंदगी की सच्चाई, अपने सपनों को खुदा बनाने में छुपी होती है।
सिर्फ मैं हाथ थाम सकूँ उसका, मुझ पे इतनी इबादत सी कर दे, वो रह ना पाऐ एक पल भी मेरे बिन, ऐ खुदा तू उसको मेरी आदत सी कर दे.