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जमाने में वही लोग हम पर उंगली उठाते हैं जिनकी हमें छूने की औकात नहीं

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अजीब दस्तूर है ज़माने का, अच्छी यादें पेनड्राइव में और बुरी यादें दिल में रखते है
ज़माने लगते है सुबह होने में, जिन्हें रात को नींद नहीं आती I
जो रातों को कोशिशों में गंवा देते हैं, वहीं सपनों की चिंगारी को और हवा
ज़िंदगी का सफ़र मानो तो मौज है वरना
गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सब्र तो रख ! जब खुशियाँ ही न रुकी तो ग़म की क्या औकात है !!
अगर आप सफल होना चाहते हो तो आपको अपने काम में एकाग्रता लानी
सपनों को सच करने से पहले सपनों को ध्यान से देखना होता
अपने लक्ष्य के लिए जोशीले और जुनूनी बनिए
जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते
कभी कभी किसी की जुनून को देख कर अपने आप में भी जुनून आ जाता