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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ
चार कदम चलकर ही थक जाता है और पंहुचना शीर्ष तक चाहता है, तुझे धूल में पैरों को मलना होगा,जो पानी है सफलता तो चलना होगा।
जिस जिस पर यह जग हंसा है, उसी ने इतिहास रचा है।
खुद को व्यस्त नहीं व्यवस्थित कीजिए, सफलता का यह पहला मंत्र है!
वहाँ तूफान भी हार जाते हैं जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैं।
रुकावटें आती है सफलता की राहों में, ये कौन नहीं जानता फिर भी वह मंज़िल पा ही लेता है, जो हार नहीं मानता।
एक ही मंज़िल तक कई रास्ते जाते हैं, तू रास्ता बदलकर तो देख तू पहुंचेगा ऊंचाइयों तक, दोबारा चलकर तो देख।
जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है, मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी!
सफलता हमारा परिचय दुनिया से करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है।
आप तब तक नहीं हार सकते, जब तक आप कोशिश करना नहीं छोड़ देते।