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मैं उस दरख्त की तरह हूं जिसके पत्ते रोज गिरकर जमीन पर बिखर जाते हैं, लेकिन वह हवाओं से अपना रिश्ता कभी नहीं बदलता।
अपने रिश्तो को उस ताले की तरह बनाओ जिसे हथोड़े की चोट तो मंजूर हो, मगर किसी दूसरी चाबी से खुलना मंजूर नहीं.
वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़
हवाओं ने खूब कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में जलते रहे।
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है मैंने अपने आप को
लोगों के साम्राज्य में अपने साहस की राजधानी बसा लो।
वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरा ध्यान लगाते हैं और लगातार प्रयास करते हैं। वहीं, असफल लोग अक्सर अपने उद्देश्यों को पाने के लिए उतनी मेहनत या दृढ़ता नहीं दिखाते।
व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है,
वो मुश्किल दौर ही होता है जो इंसान को मज़बूत बना देता है ताकी वो हीरे की तरह चमक सके