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यूँ जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है पँखों को खोल जमाना सिर्फ उड़ान देखता है

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परिंदो को मंजील मिलेगी यकिनन ये फैले हुए उनके पर बोलते है, वो लोग रहते है खामोश अक्सर जमाने में जिनके हुनर बोलते है।
सफ़र में मुश्किलें आये तो जुर्रत और बढ़ती है, कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है।
मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ,कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश मैं हूँ!
जो मुझे रोज़ देखता है उसकी ईनायत देखनी है खुदा के पास पहुंच अपनी हैसियत कहनी है।
जीवन में शांति चाहते हैं तो दुसरों की शिकायतें करने से बेहतर है ख़ुद को बदल लें,क्योंकि पुरी दुनिया में कारपेट बिछाने से ख़ुद के पैरों में चप्पल पहन लेना अधिक सरल है।
पंछी जब अपने पंखों पर विश्वाश करता है,तो सारा आसमान उसी का हो जाता है,अपनी मेहनत पर विश्वाश कीजिये, एक दिन हर तरफ केवल आपका ही नाम होगा।
हज़ारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब, इसी का नाम है ज़िंदगी चलते रहिए जनाब- गुलज़ार
आसमान की ऊंचाइयों को छूने का सपना देखो, क्योंकि सपने देखना ही सफलता की पहली सीढ़ी है।
वो छोटी छोटी उड़ानों पर गुरुर नहीं करता, जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है..!!!
वह व्यक्ति कुछ नहीं पा सकता जिसने उम्मीद खो दी है….