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अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
जिंदगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है, आसान करने के लिए समझना पड़ता है।
धोका ऐसे ही नही मिलता, भला करना पड़ता है लोगो का
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
एक भाई वह है जो हमेशा आपकी पीठ रखेगा, कोई फर्क नहीं पड़ता।
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
इस बात से फर्क नहीं पड़ता तुम कितनी ग़लती करते हो या कितनी धीरे बढ़ रहे हो, उन लोगों से बहुत आगे हो जो कोशिश ही नहीं
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
जिंदगी में कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, और कुछ खोने के लिए बहुत कुछ पाना पड़ता है।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए