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उम्मीद की बस एक किरण ही काफी है , आपकी आँखों में आयी नमी को सुखाने के लिए।
जिसके पास उम्मीद और आस है, वो ज़िन्दगी के हर इम्तिहान में पास हैं…!
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की.
एक व्यक्ति द्वारा स्वामी विवेकानंद से पूछा गया, सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है ? स्वामी जी ने उत्तर दिया की “वो ऊमीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ वापस पा सकते है!
परिंदो को मंजील मिलेगी यकिनन ये फैले हुए उनके पर बोलते है, वो लोग रहते है खामोश अक्सर जमाने में जिनके हुनर बोलते है।
हर किसी से महत्व पाने की इच्छा व्यक्ति को “नुकसान” पहुंचाती है.
आदमी गलती कर के जो सीखता है, वो किसी और तरह से नहीं सीख सकता।
मंजिलें बड़ी ज़िद्दी होती हैं हासिल कहाँ नसीब से होती हैं मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैं।
उम्मीद से बढ़कर निकली तुम तो ! मैंने तो सोचा था दिल ही तोड़ोगी तुमने तो मुझे ही तोड़ दिया
जिस व्यक्ति के अंदर स्वयं को खोने का डर नहीं है, जो इससे मुक्त हो चुका है, वही प्रेम को जान सकता है, वही प्रेम बन सकता है ।