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भरोसा तो खैर सांसों का नहीं होता, और लोग इंसान पर कर लेते है।
गलत और गुस्से में लिया गया निर्णय इंसान को कभी कोई ख़ुशी नहीं देता, ऐसे निर्णय इंसान तभी लेता है जब उसे, उसकी ज़िंदगी में सही विचार, नई सोच देनेवाला नहीं होता ,और वह खुद सही करने का प्रयास नही करता,
सभी को खुश तो भगवान भी नहीं रख सकता फिर आप तो केवल एक इंसान हैं।
जिंदगी में उस चीज की अहमियत किसी को समझ नहीं आती जो उसके_पास पहले से ही हो।
बड़ा भाग्यशाली है हर वो इंसान जिसके हिस्से यह सुख आया है, भाई की एक खुशी के लिए बहन ने हंसकर दुखों को अपनाया है।
सभी प्राणियों में एक विशिष्ट प्रकार की प्रतिभा होती है जिसे अगर वह समय रहते_समझ ले तो श्रेष्ठ बन जाता है !
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं करता।
इंसान का सारा ध्यान आज बस इस बात पर है कि ज़िंदगी जीने के तरीकों में कैसे सुधार किया जाए
जो आपको दिल से मानता हो, उसे आप जरुर महत्व दीजिए.
मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…!! “मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है लेकिन…. “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है