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हर रक्षा बंधन मैं अपने मन के भीतर तुम्हारी सुख, समृद्धि का संकल्प लेता हूँ । संकल्प
बहन उन्हीं के हिस्से आती है, जिनके होते हैं कर्म महान सभ्यताओं का संरक्षण करती, नारी ही करती है कल्याण
मत कर इतना गुमान अपने आप पर की कोई साथ रोने वाला भी ना मिले ।
शर्म नहीं तू गर्व हैं बहना, मेरी कलम का लिखा तू हर्फ़ है बहना तेरी नीयत मेरी पहचान है बहना, तू मेरी इकलौती शान है बहना
मेरे उज्जवल भविष्य के लिए जो त्याग तुमने किया, वैसा त्याग शायद कोई दूसरा नहीं कर पायेगा ।
बहना मेरी हर सुबह की भोर हो तुम, हर सवालों का जवाब और मेरे मन में उठा शोर हो तुम
तू लड़ती है-झगड़ती है, सुन बहना मेरी रक्षा भी तू ही करती है ये पीड़ाएं मुझे छूं न पाए, क्यों इस चिंता से तू इतना डरती है
अपने अतीत से ये सीखना ज़रूरी है की ये न सोचना कीआज आपने जितनी मेहनत की है उससे आपको क्या मिलेगा बल्कि ये सोचिए की आज आपने जितनी मेहनत की है उससे आप आने वाले कल में क्या बन सकते हो
विफलता के बारे में चिंता मत करो, आपको बस एक बार ही सही होना
खुला जब-जब पन्ना कहानी का मेरी , मैंने पाया बहना सदा इसमें नाम छुपा तुम्हारा