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इक ज़रा चेहरा उधर कीजे, इनायत होगी आप को देख के। बड़ी देर से मेरी सांस रुकी है।

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हमें उम्र से हमने तुमको चाहा है, जिस उम्र में हम जिस्म से वकीफ ना थे..
मैं हर रात की ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता, हुन मगर रोज सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं.
दूसरों के चेहरे हम याद रखें हमारी ऐसी फितरत नहीं लोग हमारा चेहरा देख के अपनी फितरत बदल ले ऐसी हमारी फितरत है
थोडा सा रफू करके देखिये ना, फिर से नई सी लगेगी। जिंदगी ही तो है।
एक पर्व ही बताता है कि ख्याल कितना है, वरना कोई तराजू नहीं होता रिश्तों में।
सोचा न था जिंदगी ऐसे फिर से मिलेगी, जीने के लिए आंखों को प्यार लगेगी अपने ही आंसू पीने के लिए।
वक़्त कट तो भी नहीं, वक़्त रुकता भी नहीं। दिल है सजदे में मगर, इश्क झुकता भी नहीं।
कभी तो चौक के देखे कोई इंसान तरफ, किसी की आंख में हमको भी इंतजार दिखे।
इक ज़रा चेहरा उधर कीजे, इनायत होगी आप को देख के। बड़ी देर से मेरी सांस रुकी है ।
शायद ये चेहरा मेरा नहीं है लेकिन कुछ चेहरे देखकर मुझे मेरा चेहरा बदलने का मन करता है I