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परिपक्वता उन लोगों और स्थितियों से दूर चलना सीखना है जो आपके मन की शांति, आत्म-सम्मान, मूल्यों, नैतिकता और आत्म-मूल्य को खतरे में डालती हैं।
स्वाभिमान से अधिक निकट स्वार्थ जैसा कुछ नहीं है।
तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया, बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया।
हार मानना हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी सफलता का पहला कदम है।
सफ़र में मुश्किलें आए ,तो हिम्मत और बढ़ती है.. अगर कोई रास्ता रोके, तो जुर्रत और बढ़ती है.. अगर बिकने पर आ जाओ, तो घट जाता है दम अक्सर.. ना बिकने का इरादा हो तो, कीमत और बढ़ती है।
मैंने सीखा, कि प्रेरणा एक ताकत की तरह नहीं होती है, न ही शक्तिशाली बाते है और न ही ये हमें प्रयास करने में मदत करती है, बल्कि यह एक ऐसी चिंगारी है जो धीरे धीरे और चुपचाप और हर समय हमारे अंदर जलती रहती है ।
हाँ’ या ‘हो सकता है’ कहना जब हमारा मतलब ‘नहीं’ होता है, हमारे शब्दों को चीप बना देता है, हमारे आत्म-सम्मान की भावना कम हो जाती है, और हमारी अखंडता से समझौता हो जाता है। -पाउलो कोइल्हो
भरोसा भी बड़ी अजीब चीज है। खुद पर करो तो यह आपकी सबसे बड़ी ताकत है और दूसरों पर करो तो यही आपकी सबसे बड़ी कमजोरी भी है।
दूसरों को खुश करने के लिए अपने मूल्यों से समझौता न करें। अपने स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखें और चले जाएँ।
चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर, कदर क्या होती है ये तुझे वक्त सिखा देगा।