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हाँ’ या ‘हो सकता है’ कहना जब हमारा मतलब ‘नहीं’ होता है, हमारे शब्दों को चीप बना देता है, हमारे आत्म-सम्मान की भावना कम हो जाती है, और हमारी अखंडता से समझौता हो जाता है। -पाउलो कोइल्हो
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।
उसके सादगी की कोई इन्तहा नहीं है, यही तो मेरे प्यार करने के वजह रही है, माना की उसमे अलग कुछ भी नहीं है, पर जो उसमे है वो किसी और में नहीं है.
प्रेम-आप सीख नहीं सकते, आप अभ्यास नहीं कर सकते, आप साझा नहीं कर सकते। बिल्कुल खिलने और खिलने की तरह.
जब आप खुद से प्यार करते हैं, तो आप अच्छा महसूस करते हैं, आप अपनी विशेषताओं, अपनी प्रतिभा, अपने कौशल और अपनी क्षमताओं को महत्व देते हैं।
किसी के लिए या किसी भी चीज़ के लिए अपने मानकों को कम न करें। स्वाभिमान ही सब कुछ है।
जिस व्यक्ति के अंदर स्वयं को खोने का डर नहीं है, जो इससे मुक्त हो चुका है, वही प्रेम को जान सकता है, वही प्रेम बन सकता है।
एक भाई वह है जो आपके सभी रहस्यों को जानता है, लेकिन आपको वैसे भी प्यार करता है
जिन लोगों को प्यार नहीं मिलता, सिर्फ वो ही ऐसी कल्पना करते हैं कि ईश्वर प्रेम है। प्यार तो एक मानवीय भावना है।
दूसरों को खुश करने के लिए अपने मूल्यों से समझौता न करें। अपने स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखें और चले जाएँ।